#भारत का पहला कोरोनावायरस वैक्सीन
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कोवाक्सिन: COVID-19 वैक्सीन के लिए मानव नैदानिक परीक्षण NIMS हैदराबाद में शुरू होता है चित्र स्रोत: FILE PHOTO कोवाक्सिन: COVID-19 वैक्सीन के लिए मानव नैदानिक परीक्षण NIMS हैदराबाद में शुरू होता है …
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कोरोना की Vaccine बनने के बाद सबसे पहले किसे दिया जाए, इस पर चर्चा कर रही है सरकार- अधिकारी वैक्सीन सबसे पहले किसे दिया जाए, इसपर हो रहा विचार. (प्रतीकात्मक तस्वीर) नई दिल्ली: देश के नीति निर्माता सक्रिय रूप से उन लोगों के समूहों की पहचान करने के लिए विचार-विमर्श कर रहे हैं जिन्हें विकसित होने पर …
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कोरोनावायरस टीकाकरण: मूल वैक्सीन से नकली COVID-19 वैक्सीन की पहचान कैसे करें
कोरोनावायरस टीकाकरण: मूल वैक्सीन से नकली COVID-19 वैक्सीन की पहचान कैसे करें
कोविशील्ड वैक्सीन भारत में स्वीकृत पहला COVID वैक्सीन था। एक वास्तविक कोविशील्ड शीशी की पहचान करने के लिए, यहां देखने के लिए कुछ मार्कर दिए गए हैं। – SII उत्पाद का लेबल शेड और एल्यूमीनियम फ्लिप-ऑफ सील का रंग गहरा हरा है। – मूल टीके पर ट्रेडमार्क के साथ COVISHIELD ब्रांड नाम का उल्लेख किया गया है। – सामान्य नाम का फ़ॉन्ट बोल्ड में नहीं लिखा गया है, जबकि अक्षर विशेष सफेद स्याही में है ताकि इसे और…
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स्पुतनिक लाइट भारत का पहला सिंगल-डोज़ वैक्सीन हो सकता है, जून में वार्ता, सूत्रों का कहना है
स्पुतनिक लाइट भारत का पहला सिंगल-डोज़ वैक्सीन हो सकता है, जून में वार्ता, सूत्रों का कहना है
कोरोनावायरस: स्पुतनिक लाइट भारत का पहला एकल खुराक टीका हो सकता है नई दिल्ली: रूस की स्पुतनिक लाइट भारत में इस्तेमाल होने वाली पहली एकल-खुराक वैक्सीन हो सकती है और डॉ। रेड्डी की तत्काल लॉन्च क�� लिए जून में सरकार और नियामक के साथ बातचीत होगी, सूत्रों ने आज एनडीटीवी को बताया। अभी के लिए, दो-खुराक स्पुतनिक वी को पूरे भारत के 35 केंद्रों में रोलआउट किया जाएगा। आयातित वैक्सीन शॉट की कीमत 995.40 रुपये…
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'स्पुतनिक लाइट' कोरोना वैक्सीन: रूस का सिंगल-डोज वैक्सीन भारत में इमरजेंसी उपयो��� प्राधिकरण हो जाता है
‘स्पुतनिक लाइट’ कोरोना वैक्सीन: रूस का सिंगल-डोज वैक्सीन भारत में इमरजेंसी उपयोग प्राधिकरण हो जाता है
नई दिल्ली: नवीनतम रिपोर्टों के अनुसार, रूस के नए कोरोनावायरस वैक्सीन ‘स्पुतनिक लाइट’ को भारत में टीकाकरण के लिए आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण मिल गया है, यह अपने देश में स्वीकृत होने के ठीक एक दिन बाद आता है। स्पुतनिक लाइट स्पुतनिक वी कोरोनावायरस वैक्सीन का पहला घटक (पुनः संयोजक मानव एडेनोवायरस सीरोटाइप नंबर 26 (rAd26)) है, स्पुतनिक वैक्सीन वेबसाइट पर आधिकारिक विज्ञप्ति में बताया गया। आधिकारिक बयान…
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कोरोनावायरस की भारत की प्रतिक्रिया आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता में से एक है: पीएम मोदी
मेरे प्यारे देशवासियों,
नमस्कार !
आज के दिन का पूरे देश को बेसब्री से इंतजार रहा है। कितने महीनों से देश के हर घर में, बच्चे-बूढ़े-जवान, सभी की जुबान पर यही सवाल था कि - कोरोना की वैक्सीन कब आएगी? तो अब कोरोना की वैक्सीन आ गई है, बहुत कम समय में आ गई है। अब से कुछ ही मिनट बाद भारत में दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू होने जा रहा है। मैं सभी देशवासियों को इसके लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आज वो वैज्ञानिक, वैक्सीन रिसर्च से जुड़े अनेकों लोग विशेष रूप से प्रशंसा के हकदार हैं, जो बीते कई महीनों से कोरोना के खिलाफ वैक्सीन बनाने में जुटे थे, दिन-रात जुटे थे। ना उन्होंने त्यौहार देखा है, ना उन्होंने दिन देखा है, ना उन्होंने रात देखी है। आमतौर पर एक वैक्सीन बनाने में बरसों लग जाते हैं। लेकिन इतने कम समय में एक नहीं, दो-दो मेड इन इंडिया वैक्सीन तैयार हुई हैं। इतना ही नहीं कई और वैक्सीन पर भी काम तेज गति से चल रहा है। ये भारत के सामर्थ्य, भारत की वैज्ञानिक दक्षता, भारत के टैलेंट का जीता जागता सबूत है। ऐसी ही उपलब्धियों के लिए राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने कहा था- मानव जब ज़ोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है !!
भाइयों और बहनों,
भारत का टीकाकरण अभियान बहुत ही मानवीय और महत्वपूर्ण सिद्धांतों पर आधारित है। जिसे सबसे ज्यादा जरूरी है, उसे सबसे पहले कोरोना का टीका लगेगा। जिसे कोरोना संक्रमण का रिस्क सबसे ज्यादा है, उसे पहले टीका लगेगा। जो हमारे डॉक्टर्स हैं, नर्सेंस हैं, अस्पताल में सफाई कर्मी हैं, मेडिकल-पैरा मेडिकल स्टाफ हैं, वो कोरोना की वैक्सीन के सबसे पहले हकदार हैं। चाहे वो सरकारी अस्पताल में हों या फिर प्राइवेट में, सभी को ये वैक्सीन प्राथमिकता पर लगेगी। इसके बाद उन लोगों को टीका लगाया जाएगा, जिन पर जरूरी सेवाओं और देश की रक्षा या कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी है। जैसे हमारे सुरक्षाबल हो गए, पुलिसकर्मी हो गए, फायरब्रिगेड के लोग हो गए, सफाई कर्मचारी हो गए, इन सभी को ये वैक्सीन प्राथमिकता पर लगेगी। और मैंने जैसा पहले भी कहा है- इनकी संख्या करीब-करीब तीन करोड़ होती है। इन सभी के वैक्सीनेशन का खर्च भारत सरकार द्वारा उठाया जाएगा।
साथियों,
इस टीकाकरण अभियान की पुख्ता तैयारियों के लिए राज्य सरकारों के सहयोग से देश के कोने-कोने में Trials किए गए हैं, Dry Runs हुए हैं। विशेष तौर पर बनाए गए Co-Win डिजिटल प्लेटफॉर्म में टीकाकरण के लिए रजिस्ट्रेशन से लेकर ट्रैकिंग तक की व्यवस्था है। आपको पहला टीका लगने के बाद दूसरी डोज कब लगेगी, इसकी जानकारी भी आपके फोन पर दी जाएगी। और मैं सभी देशवासियों को ये बात फिर याद दिलाना चाहता हूं कि कोरोना वैक्सीन की 2 डोज लगनी बहुत जरूरी है। एक डोज ले लिया और फिर भूल गए, ऐसा गलती मत करना। और जैसा एक्सपर्ट्स कह रहे हैं, पहली और दूसरी डोज के बीच, लगभग एक महीने का अंतराल भी रखा जाएगा। आपको ये भी याद रखना है कि दूसरी डोज़ लगने के 2 हफ्ते बाद ही आपके शरीर में कोरोना के विरुद्ध ज़रूरी शक्ति विकसित हो पाएगी। इसलिए टीका लगते ही आप असावधानी बरतने लगें, मास्क निकालकर रख दें, दो गज की दूरी भूल जाएं, ये सब मत करिएगा। मैं प्रार्थना करता हूँ मत करिएगा। और मैं आपको एक और चीज बहुत आग्रह से कहना चाहता हूं। जिस तरह धैर्य के साथ आपने कोरोना का मुकाबला किया, वैसा ही धैर्य अब वैक्सीनेशन के समय भी दिखाना है।
साथियों,
इतिहास में इस प्रकार का और इतने बड़े स्तर का टीकाकरण अभियान पहले कभी नहीं चलाया गया है। ये अभियान कितना बड़ा है, इसका अंदाज़ा आप सिर्फ पहले चरण से ही लगा सकते हैं। दुनिया के 100 से भी ज्यादा ऐसे देश हैं जिनकी जनसंख्या 3 करोड़ से कम है। और भारत वैक्सीनेशन के अपने पहले चरण में ही 3 करोड़ लोगों का टीकाकरण कर रहा है। दूसरे चरण में हमें इसको 30 करोड़ की संख्या तक ले जाना है। जो बुजुर्ग हैं, जो गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं, उन्हें अगले वाले चरण में टीका लगेगा। आप कल्पना कर सकते हैं, 30 करोड़ की आबादी से ऊपर के दुनिया के सिर्फ तीन ही देश हैं- खुद भारत, चीन और अमेरिका। और कोई भी देश ऐसा नहीं है जिनकी आबादी इनसे ज्यादा हो। इसलिए भारत का टीकाकरण अभियान इतना बड़ा है। और इसलिए ये अभियान भारत के सामर्थ्य को दिखाता है। और मैं देशवासियों को एक और बात ��हना चाहता हूं। हमारे वैज्ञानिक, हमारे एक्सपर्ट्स जब दोनों मेड इन इंडिया वैक्सीन की सुरक्षा और प्रभाव को लेकर आश्वस्त हुए तभी उन्होंने इसके इमरजेंसी उपयोग की अनुमति दी है। इसलिए देशवासियों को किसी भी तरह के प्रोपेगैंडा, अफवाएं, दुष्प्रचार से बचकर रहना है।
साथियों,
भारत के वैक्सीन वैज्ञानिक, हमारा मेडिकल सिस्टम, भारत की प्रक्रिया की पूरे विश्व में बहुत विश्वसनीयता है और पहले से है। हमने ये विश्वास अपने ट्रैक रिकॉर्ड से हासिल किया है।
मेरे प्यारे देशवासियों,
हर हिन्दुस्तानी इस बात पर गर्व करेगा कि दुनियाभर के करीब 60 प्रतिशत बच्चों को जो जीवनरक्षक टीके लगते हैं, वो भारत में ही बनते हैं, भारत की सख्त वैज्ञानिक प्रक्रियाओं से ही होकर गुज़��ते है। भारत के वैज्ञानिकों और वैक्सीन से जुड़ी हमारी विशेषज्ञता पर दुनिया का ये विश्वास मेड इन इंडिया कोरोना वेक्सीन में और मज़बूत होने वाला है। इसकी कुछ और खास बातें हैं जो आज मैं देशवासियों को जरूर बताना चाहता हूं। ये भारतीय वैक्सीन, विदेशी वैक्सीनों की तुलना में बहुत सस्ती हैं और इनका उपयोग भी उतना ही आसान है। विदेश में तो कुछ वैक्सीन ऐसी हैं जिसकी एक डोज पांच हजार रुपए तक में है और जिसे माइनस 70 डिग्री तापमान में फ्रिज में रखना होता है। वहीं, भारत की Vaccines ऐसी तकनीक पर बनाई गई हैं, जो भारत में बरसों से Tried और Tested हैं। ये वैक्सीन स्टोरेज से लेकर ट्रांसपोर्टेशन तक भारतीय स्थितियों और परिस्थितियों के अनुकूल हैं। यही वैक्सीन अब भारत को कोरोना के खिलाफ लड़ाई में निर्णायक जीत दिलाएगी।
साथियों,
कोरोना से हमारी लड़ाई आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की रही है। इस मुश्किल लड़ाई से लड़ने के लिए हम अपने आत्मविश्वास को कमजोर नहीं पड़ने देंगे, ये प्रण हर भारतीय में दिखाई दिया है। संकट कितना ही बड़ा क्यों ना हो, देशवासियों ने कभी आत्मविश्वास खोया नहीं। जब भारत में कोरोना पहुंचा तब देश में कोरोना टेस्टिंग की एक ही लैब थी। हमने अपने सामर्थ्य पर विश्वास रखा और आज 2300 से ज्यादा लैब्स का नेटवर्क हमारे पास है। शुरुआत में हम मास्क, PPE किट, टेस्टिंग किट्स, वेंटिलेटर्स जैसे ज़रूरी सामान के लिए भी विदेशों पर निर्भर थे। आज इन सभी सामानों के निर्माण में हम आत्मनिर्भर हो गए हैं और इनका निर्यात भी कर रहे हैं। आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की इसी ताकत को हमें टीकाकरण के इस दौर में भी सशक्त करना है।
साथियों,
महान तेलुगू कवि श्री गुराजाडा अप्पाराव ने कहा था- सौन्त लाभं कौन्त मानुकु, पौरुगुवाडिकि तोडु पडवोय् देशमन्टे मट्टि कादोयि, देशमन्टे मनुषुलोय ! यानि हम दूसरों के काम आएं ये निस्वार्थ भाव हमारे भीतर रहना चाहिए। राष्ट्र सिर्फ मिट्टी, पानी, कंकड़, पत्थर से नहीं बनता, बल्कि राष्ट्र का अर्थ होता है, हमारे लोग। कोरोना के विरुद्ध लड़ाई को संपूर्ण देश ने इसी भावना के साथ लड़ा है। आज जब हम बीते साल को देखते हैं तो, एक व्यक्ति के रूप में, एक परिवार के रूप में, एक राष्ट्र के रूप में हमने बहुत कुछ सीखा है, बहुत कुछ देखा है, जाना है, समझा है।
आज भारत जब अपना टीकाकरण अभियान शुरू कर रहा है, तो मैं उन दिनों को भी याद कर रहा हूं। कोरोना संकट का वो दौर जब हर कोई चाहता था कि कुछ करे, लेकिन उसको उतने रास्ते नहीं सूझते थे। सामान्य तौर पर बीमारी में पूरा परिवार बीमार व्यक्ति की देखभाल के लिए जुट जाता है। लेकिन इस बीमारी ने तो बीमार को ही अकेला कर दिया। अनेकों जगहों पर छोटे-छोटे बीमार बच्चों को मां से दूर रहना पड़ा। मां परेशान रहती थी, मां रोती थी, लेकिन चाहकर भी कुछ कर नहीं पाती थी, बच्चे को अपनी गोद में नहीं ले पाती थी। कहीं बुजुर्ग पिता, अस्पताल में अकेले, अपनी बीमारी से संघर्ष करने को मजबूर थे। संतान चाहकर भी उसके पास नहीं जा पाती थी। जो हमें छोड़कर चले गए, उनको परंपरा के मुताबिक वो विदाई भी नहीं मिल सकी जिसके वो हकदार थे। जितना हम उस समय के बारे में सोचते हैं, मन सिहर जाता है, उदास हो जाता है।
लेकिन साथियों,
संकट के उसी समय में, निराशा के उसी वातावरण में, कोई आशा का भी संचार कर रहा था, हमें बचाने के लिए अपने प्राणों को संकट में डाल रहा था। हमारे डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, एंबुलेंस ड्राइवर, आशा वर्कर, सफाई कर्मचारी, पुलिस के साथी और दूसरे Frontline Workers. उन्होंने मानवता के प्रति अपने दायित्व को प्राथमिकता दी। इनमें से अधिकांश तब अपने बच्चों, अपने परिवार से दूर रहे, कई-कई दिन तक घर नहीं गए। सैकड़ों साथी ऐसे भी हैं जो कभी घर वापस लौट ही नहीं पाए, उन्होंने एक-एक जीवन को बचाने के लिए अपना जीवन आहूत कर दिया है। इसलिए आज कोरोना का पहला टीका स्वास्थ्य सेवा से जुड़े लोगों को लगाकर, एक तरह से समाज अपना ऋण चुका रहा है। ये टीका उन सभी साथियों के प्रति कृतज्ञ राष्ट्र की आदरांजलि भी है।
भाइयों और बहनों,
मानव इतिहास में अनेक विपदाएं आईं, महामारियां आईं, भीषण युद्ध हुए, लेकिन कोरोना जैसी चुनौती की किसी ने कल्पना नहीं की थी। ये एक ऐसी महामारी थी जिसका अनुभव ना तो साइंस को था और ना ही सोसायटी को। तमाम देशों से जो तस्वीरें आ रही थीं, जो खबरें आ रहीं थीं, वो पूरी दुनिया के साथ-साथ ह��� भारतीय को विचलित कर रही थीं। ऐसे हालात में दुनिया के बड़े-बड़े एक्सपर्ट्स भारत को लेकर तमाम आशंकाएं जता रहे थे।
लेकिन साथियों,
भारत की जिस बहुत बड़ी आबादी को हमारी कमज़ोरी बताया जा रहा है था, उसको ही हमने अपनी ताकत बना लिया। भारत ने संवेदनशीलता और सहभागिता को लड़ाई का आधार बनाया। भारत ने चौबीसों घंटे सतर्क रहते हुए, हर घटनाक्रम पर नजर रखते हुए, सही समय पर सही फैसले लिए। 30 जनवरी को भारत में कोरोना का पहला मामला मिला, लेकिन इसके दो सप्ताह से भी पहले भारत एक हाई लेवल कमेटी बना चुका था। पिछले साल आज का ही दिन था जब हमने बाकायदा सर्विलांस शुरु कर दिया था। 17 जनवरी, 2020 वो तारीख थी, जब भारत ने अपनी पहली एडवायजरी जारी कर दी थी। भारत दुनिया के उन पहले देशों में से था जिसने अपने एयरपोर्ट्स पर यात्रियों की स्क्रीनिंग शुरू कर दी थी।
साथियों,
कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत ने जैसी इच्छाशक्ति दिखाई है, जो साहस दिखाया है, जो सामूहिक शक्ति का परिचय करवाया है, वो आने वाली अनेक पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का काम करेगा। याद कीजिए जनता कर्फ्यू, कोरोना के विरुद्ध हमारे समाज के संयम और अनुशासन का भी परीक्षण था, जिसमें हर देशवासी सफल हुआ। जनता कर्फ्यू ने देश को मनोवैज्ञानिक रूप से लॉकडाउन के लिए तैयार किया। हमने ताली-थाली और दीया जलाकर, देश के आत्मविश्वास को ऊंचा रखा।
साथियों,
कोरोना जैसे अनजान दुश्मन, जिसके Action-Reaction को बड़े-बड़े सामर्थ्यवान देश नहीं भांप पा रहे थे, उसके संक्रमण को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका ही यही था कि जो जहां है, वो वहीं रहे। इसलिए देश में लॉकडाउन का फैसला भी किया गया। ये निर्णय आसान नहीं था। इतनी बड़ी आबादी को घर के अंदर रखना असंभव है, इसका हमें ऐहसास था। और यहां तो देश में सब कुछ बंद होने जा रहा था, लॉकडाउन होने जा रहा था। इसका लोगों की रोजी-रोटी पर क्या प्रभाव पड़ेगा, अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इसका आकलन भी हमारे सामने था। लेकिन देश ने ’जान है तो जहान है’ के मंत्र पर चलते हुए प्रत्येक भारतीय का जीवन बचाने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। और हम सभी ने ये देखा है कि कैसे तुरंत ही पूरा देश, पूरा समाज इस भावना के साथ खड़ा हो गया। अनेकों बार छोटी-छोटी लेकिन महत्वपूर्ण चीजों की जानकारी देने के लिए मैंने भी अनेक बार देशवासियों के साथ सीधा संवाद किया। एक तरफ जहां गरीबों को मुफ्त भोजन की व्यवस्था की गई, तो वहीं दूध, सब्ज़ी, राशन, गैस, दवा, ऐसी ज़रूरी चीज़ों की सुचारू आपूर्ति सुनिश्चित की गई। देश में व्यवस्थाएं ठीक से चलें, इसके लिए गृह मंत्रालय ने 24X7 कंट्रोल रूम शुरु किया जिस पर हजारों कॉल्स का जवाब दिया गया है, लोगों को समाधान दिया गया है।
साथियों,
कोरोना के विरुद्ध इस लड़ाई में हमने कदम-कदम पर दुनिया के सामने उदाहरण प्रस्तुत किया है। ऐसे समय में जब कुछ देशों ने अपने नागरिकों को चीन में बढ़ते कोरोना के बीच छोड़ दिया था, तब भारत, चीन में फंसे हर भारतीय को वापस लेकर आया। और सिर्फ भारत के ही नहीं, हम कई द���सरे देशों के नागरिकों को भी वहां से वापस निकालकर लाए। कोरोना काल में वंदे भारत मिशन के तहत 45 लाख से ज्यादा भारतीयों को विदेशों से भारत लाया गया। मुझे याद है, एक देश में जब भारतीयों को टेस्ट करने के लिए मशीनें कम पड़ रहीं थीं तो भारत ने पूरी टेस्टिंग लैब यहां से वहां भेज करके उसको वहां सजाया लगाया ताकि वहां से भारत आ रहे लोगों को टेस्टिंग की दिक्कत ना हो।
साथियों,
भारत ने इस महामारी से जिस प्रकार से मुकाबला किया उसका लोहा आज पूरी दुनिया मान रही है। केंद्र और राज्य सरकारें, स्थानीय निकाय, हर सरकारी संस्थान, सामाजिक संस्थाएं, कैसे एकजुट होकर बेहतर काम कर सकते हैं, ये उदाहरण भी भारत ने दुनिया के सामने रखा। ISRO, DRDO, फौज से लेकर किसानों और श्रमिकों तक, सभी एक संकल्प के साथ कैसे काम कर सकते हैं, ये भारत ने दिखाया है। ‘दो गज़ की दूरी और मास्क है जरूरी’ उस पर फोकस करने वालों में भी भारत अग्रणी देशों में रहा।
भाइयों और बहनों,
आज इन्हीं सब प्रयासों का परिणाम है कि भारत में कोरोना से होने वाली मृत्यु की दर कम है और ठीक होने वालों की दर बहुत अधिक है। देश के कई जिले ऐसे हैं जहां एक भी व्यक्ति को हमें कोरोना की वजह से खोना नहीं पड़ा। इन जिलों में हर व्यक्ति कोरोना से ठीक होने के बाद अपने घर पहुंचा है। बहुत से जिले ऐसे भी हैं, जहां बीते दो सप्ताह से कोरोना संक्रमण का एक भी केस नहीं आया है। यहां तक कि लॉकडाउन से प्रभावित अर्थव्यवस्था की रिकवरी में भी भारत दुनिया में आगे निकल रहा है। भारत उन गिने-चुने देशों में है जिसने मुश्किल के बावजूद दुनिया के 150 से ज्यादा देशों में ज़रूरी दवाएं और ज़रूरी मेडिकल सहायता पहुंचाई। पैरासिटामॉल हो, हाइड्रोक्सी-क्लोरोक्विन हो, टेस्टिंग से जुड़ा सामान हो, भारत ने दूसरे देश के लोगों को भी बचाने की हर संभव कोशिश की। आज जब हमने अपनी वैक्सीन बना ली है, तब भी भारत की तरफ दुनिया आशा और उम्मीद की नज़रों से देख रही है। हमारा टीकाकरण अभियान जैसे-जैसे आगे बढ़ेगा, दुनिया के अनेक देशों को हमारे अनुभवों का लाभ मिलेगा। भारत की वैक्सीन, हमारी उत्पादन क्षमता, पूरी मानवता के हित में काम आए, ये हमारी प्रतिब���्धता है।
भाइयों और बहनों,
ये टीकाकरण अभियान अभी लंबा चलेगा। हमें जन-जन के जीवन को बचाने में योगदान देने का मौका मिला है। इसलिए इस अभियान से जुड़ी प्रक्रिया को, उस प्रक्रिया का हिस्सा बनने के लिए भी देश में Volunteer आगे आ रहे हैं। मैं उनका स्वागत करता हूँ, और भी अधिक Volunteers को मैं अपना समय इस सेवा कार्य में जोड़ने के लिए जरूर आग्रह करूंगा। हां, जैसा मैंने पहले कहा, मास्क, दो गज़ की दूरी और साफ-सफाई, ये टीके के दौरान भी और बाद में भी ज़रूरी रहेंगे। टीका लग गया तो इसका अर्थ ये नहीं कि आप कोरोना से बचाव के दूसरे तरीके छोड़ दें। अब हमें नया प्रण लेना है- दवाई भी, कड़ाई भी ! आप सभी स्वस्थ रहें, इसी कामना के साथ इस टीकाकरण अभियान के लिए पूरे देश को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूँ! देश के वैज्ञानिकों का, रिसर्चस का, लैब में जुड़े हुए सब लोगों का जिन्होंने पूरे साल एक ऋषि की तरह अपनी लैब में जीवन खपा दिया और ये वैक्सीन देश और मानवता को दी है मैं उनको भी विशेष रूप से अभिनंदन करता हूँ, उनका आभार व्यक्त करता हूँ। मेरी आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनांए हैं। आप जल्द इसका लाभ उठाएं। आप भी स्वस्थ रहें, आपका परिवार भी स्वस्थ रहे। पूरी मानव जाति इस संकट की घड़ी से बाहर निकले और स्वस्थता हम सबको प्राप्त हो, इसी एक कामना के साथ आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद !
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कोरोनोवायरस लाइव अपडेट्स: भारत सबसे बड़े कोविद टीकाकरण अभियान से बाहर निकलता है, लगभग 2 लाख मिलेंगे, जो 1 साल तक चलेगा
कोरोनोवायरस लाइव अपडेट्स: भारत सबसे बड़े कोविद टीकाकरण अभियान से बाहर निकलता है, लगभग 2 लाख मिलेंगे, जो 1 साल तक चलेगा
भारत की ड्राइव का लक्ष्य 3 करोड़ स्वास्थ्य और फ्रंटलाइन श्रमिकों को टीका लगाना है। नई दिल्ली: भारत में पहला COVID-19 वैक्सीन शॉट शनिवार को लगभग दो लाख फ्रंटलाइन हेल्थकेयर और सैनिटरी वर्करों को दिया गया क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोनावायरस के खिलाफ इनोक्यूलेशन ड्राइव चलाया था। जैसा कि पीएम मोदी ने कहा कि तैनात किए जा रहे दो टीके कोरोनोवायरस के खिलाफ भारत के लिए “निर्णायक जीत”…
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#covid-19#कोरोनावाइरस#कोरोनावायरस के मामले भारत में हैं#कोरोनावायरस टीकाकरण#कोरोनावायरस नवीनतम अपडेट#कोरोनोवायरस लाइव अपडेट#कोविड -19 टीका#कोविद 19 टीकाकरण
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कोरोना टीकाकरण अभियान के पहले दिन 1.91 लाख लोगों को मिली वैक्सीन
कोरोना टीकाकरण अभियान के पहले दिन 1.91 लाख लोगों को मिली वैक्सीन
अतिरिक्त सचिव ने कहा कि पहले दिन टीकाकरण अभियान सफलतापूर्वक आयोजित किया गया. भारत में पहला कोरोनावायरस मामले का पता चलने के लगभग एक साल बाद विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू किया गया. कोरोना वैक्सीनेशन डे (Photo Credit: फाइल ) नई दिल्ली : केंद्र ने शनिवार को कहा कि देशभर में टीकाकरण अभियान के पहले दिन 1.91 लाख से अधिक लाभार्थियों को टीका लगाया गया और अब तक टीकाकरण के बाद अस्पताल में भर्ती…
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भारतीय वैज्ञानिकों ने UK स्ट्रेन को आइसोलेट किया, ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश
भारतीय वैज्ञानिकों ने UK स्ट्रेन को आइसोलेट किया, ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश
ब्रिटेन (UK) में सामने आए कोरोनावायरस के नए स्ट्रेन ने दुनियाभर में सरकारों की चिंता बढ़ा दी है। यह स्ट्रेन पहले वाले कोरोनावायरस के मुकाबले 70% ज्यादा संक्रामक है। इस पर वैक्सीन के असर को लेकर भी संदेह बना हुआ है। लेकिन, इस बीच भारतीय वैज्ञानिकों ने इस स्ट्रेन को आइसोलेट करने में कामयाबी हासिल कर ली है। भारत ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने…
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रूस का स्पुतनिक वी, भारत के लिए तीसरा टीका, हैदराबाद में आता है
रूस का स्पुतनिक वी, भारत के लिए तीसरा टीका, हैदराबाद में आता है
रूस का स्पुतनिक वी कोविल्ड और कोवाक्सिन के बाद भारत में उपलब्ध तीसरा टीका है हैदराबाद: रूस के स्पुतनिक वी वैक्सीन का पहला लॉट, द भारत में इस्तेमाल होने वाला तीसरा कोरोनावायरस के खिलाफ कोविशिल्ड और कोवाक्सिन के बाद, शनिवार को हैदराबाद पहुंचे। टीके ऐसे समय में आए हैं जब कोरोनोवायरस की एक घातक दूसरी लहर देश भर में कहर मचा रही है। देश में कोरोनोवायरस के मामलों ने पिछले 24 घंटों में 4,01,993 ताजा…
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नवीनतम समाचार लाइव: कोविशिल्ड टीकों का पहला बैच वितरण के लिए पुणे रवाना
नवीनतम समाचार लाइव: कोविशिल्ड टीकों का पहला बैच वितरण के लिए पुणे रवाना
ताजा खबर आज: केंद्र ने कोविशिल्ड वैक्सीन की 5.60 करोड़ खुराकें खरीदने की योजना बनाई है। (फाइल) नई दिल्ली: कोविशिल्ड टीकों की पहली खेप को आज सुबह भारत के सीरम इंस्टीट्यूट में 16 जनवरी को देशव्यापी इनोक्यूलेशन ड्राइव लॉन्च से पहले छोड़ दिया गया, जो कि एंटी-कोरोनावायरस लड़ाई में एक निर्णायक चरण था। तीन तापमान-नियंत्रित ट्रक सुबह 5 बजे से पहले सीरम इंस्टीट्यूट के गेटों से लुढ़क कर पुणे हवाई अड्डे के…
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#Covishield#आज की खबर लाइव#आज की ताजा खबर#आजकी ताजा खबर#खबर लाइव अपडेट#ताजा खबर लाइव#भारत की ताजा खबर#शीर्ष सुर्खियों में आज
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